सैन्य नेता – अपनी यूनीट में और आसपास बढ़ रही वित्तीय महामारी से सतर्क रहें

सैन्य नेता – अपनी यूनीट में और आसपास बढ़ रही वित्तीय महामारी से सतर्क रहें

तीन महीने पहले, मैं पूर्वोत्तर भारत में सेना की इकाइयों को वित्तीय योजना पर व्याख्यान देने गया था। वहां मैंने लंबी सड़क यात्राएँ कीं और जवानों के साथ काफी समय बिताया बातचीत के दौरान मुझे एक चौंकाने वाला तथ्य पता चला।

बैंकिंग ऐप्स के जरिए व्यक्तिगत लोन, मिनटों में उपलब्ध हो जाते हैं। इस सुविधा ने जवानों को ऊँची ब्याज दरों पर लोन के जाल में फंसा दिया है। लगभग हर जवान, जिससे मैंने बातचीत की, ने हाल ही में ऐसा लोन लिया था। कुछ के पास तो ₹30 लाख तक का लोन था।

संयोग से, वहाँ रहते हुए, मुझे कश्मीर घाटी में एक राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर का फोन आया। उन्होंने भी मुझे अपनी यूनिट में व्याख्यान देने का अनुरोध किया। उनका चिंता का विषय था – जवान उच्च-जोखिम वाले आतंकवाद रोधी क्षेत्रों में पोस्टिंग के लिए स्वयं आगे आ रहे थे ताकि उन्हें मिलने वाले भत्तों से वे अपने लोन चुका सकें।

स्थिति का विश्लेषण

जवान, वायु सैनिक और नाविक (जिन्हें मैं सामूहिक रूप से जवान कहूँगा), अपनी तनख्वाह सीधे अपने बैंक खातों में प्राप्त करते हैं। ये बैंक अपने ऐप्स के माध्यम से उन्हें आक्रामक तरीके से व्यक्तिगत लोन का प्रचार करते हैं।

वित्तीय बातों को कम समझ रखने वाले जवान इन लोन को जल्दी पैसा पाने का आसान तरीका समझते हैं। नतीजतन, वे बार-बार पैसे उधार लेते हैं और इसके दीर्घकालिक प्रभावों पर विचार नहीं करते।

इसके साथ ही, कई जवान स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग में भी शामिल हो गए हैं। त्वरित लाभ कमाने की इच्छा से प्रेरित होकर वे शॉर्ट-टर्म ट्रेडिंग में पैसा लगाते हैं। लेकिन उचित वित्तीय जानकारी के बिना अधिकांश जवान भारी नुकसान झेलते हैं, जिससे उनकी कर्ज की स्थिति और खराब हो जाती है।

साथ ही, मोबाइल गेमिंग ऐप्स भी उनके पैसे और मानसिक शांति पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं। ये ऐप्स अक्सर उनके जुआ खेलने की प्रवृत्ति का फायदा उठाते हैं।

समस्या का विस्तार

इस प्रकार का वित्तीय तनाव जवानों के व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन पर भारी असर डाल रहा है। एक बार कर्ज में डूबने के बाद, कई जवान अपने नुकसान की भरपाई के लिए और ज्यादा कर्ज लेते हैं, जिससे उनकी स्थिति और खराब हो जाती है।

यह स्थिति न केवल उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर असर डालती है, बल्कि उनकी पेशेवर जिम्मेदारियों पर भी असर डालती है, जिससे काम में बाधा व कमी आती है।

इसके अलावा, वित्तीय संकट से जूझ रहे जवान बाहरी ताकतों के लिए आसान लक्ष्य बन सकते हैं। यह न केवल उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा बल्कि यूनिट की सुरक्षा और अंततः राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खतरे में डाल सकता है।

डेटा और आंकड़ेएक चिंताजनक तस्वीर

यद्यपि जवानों की वित्तीय स्थिति पर विशेष आंकड़े सीमित हैं, वैश्विक सैन्य परिदृश्य से कुछ गंभीर निष्कर्ष सामने आते हैं। अमेरिका में, वित्तीय संकट को सुरक्षा क्लीयरेंस रद्द होने के मुख्य कारणों में से एक माना गया है।

अगर भारत में यह स्थिति जारी रही, तो जवानों के बीच बढ़ते वित्तीय संकट के कारण इसी तरह की समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

समाधान के उपाय

इस वित्तीय महामारी से निपटने के लिए ठोस और सक्रिय कदम उठाने की आवश्यकता है:

  1. वित्तीय शिक्षा कार्यक्रम:
    जवानों को सरल वित्तीय सिद्धांतों, जैसे बजट बनाना, बचत करना, और कर्ज से बचने के तरीकों की शिक्षा दी जानी चाहिए। सेना और वित्तीय संस्थानों को नियमित वर्कशॉप आयोजित करनी चाहिए।
  2. सख्त लोन नियम:
    बैंकों को जवानों को लोन देते समय अधिक सावधानी बरतनी चाहिए। लोन ऑफर के साथ अनिवार्य वित्तीय सलाह शामिल होनी चाहिए।
  3. नीतिगत हस्तक्षेप:
    सरकार और सेना को जवानों पर उच्च ब्याज दर वाले लोन और स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग व जुआ जैसे जोखिम भरे वित्तीय व्यवहार को सीमित करने के लिए नीतियाँ बनानी चाहिए।
  4. वित्तीय सहायता कार्यक्रम:
    आर्थिक रूप से परेशान जवानों की पहचान के लिए तंत्र स्थापित करें और उनकी मदद के लिए काउंसलिंग व कर्ज राहत कार्यक्रम चलाएँ।
  5. साइबर सुरक्षा में सुधार:
    बैंकिंग और ट्रेडिंग ऐप्स में डेटा सुरक्षा को मजबूत करें। नियमित सुरक्षा ऑडिट अनिवार्य होने चाहिए ताकि इन ऐप्स का दुरुपयोग न हो।

सुरक्षा के लिए वित्तीय स्थिरता अनिवार्य है

जवानों की वित्तीय स्थिति केवल व्यक्तिगत मुद्दा नहीं है; यह राष्ट्रीय सुरक्षा का भी प्रश्न है। वित्तीय शिक्षा, जिम्मेदार ऋण प्रबंधन, जोखिमपूर्ण गतिविधियों पर नियंत्रण और साइबर सुरक्षा उपायों को मिलाकर एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।

अगर आज हम ठोस कदम उठाएँ, तो न केवल हमारे जवानों का भविष्य सुरक्षित रहेगा, बल्कि देश की सुरक्षा भी सुदृढ़ होगी।

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